NCERT Solutions for Chapter 8 ऐसे ऐसे Class 6 Hindi Vasant I

यह कहानी विष्णु प्रभाकर जी द्वारा लिखी गयी है जिसमे एक लड़का मोहन अपना गृहकार्य पूरा नहीं कर पाता जिसके कारण उसे पेट दर्द का बहाना बनाना पड़ता है। मोहन की माँ पिताजी पडोसी सभी चिंतित हो जाते है और उसे तरह तरह की दवाइयाँ खिलाते हैं। वैध जी पेट में वायु बताते है तो वही डॉक्टर बदहज़मी बताते हैं लेकिन जब मोहन के मास्टर जी आते हैं तो वो मोहन को देखकर समझ जाते हैं की उसे कोई बीमारी नहीं है बल्कि उसने छुट्टी के दिनों में अपना गृहकार्य पूरा नहीं किया है इसीलिए बहाना बना रहा है। इसके बाद मास्टरजी ये बात सबको बताते हैं और मोहन को गृहकार्य पूरा करने के लिए दो दिन का समय देते हैं। ये बात सुनकर सभी दंग हो जाते हैं और हँस पड़ते हैं। 
NCERT Solutions for Class 6th Hindi Chapter 8 ऐसे ऐसे

ऐसे ऐसे Questions and Answers


Chapter Name

ऐसे ऐसे NCERT Solutions

Class

CBSE Class 6

Textbook Name

Vasant I

Related Readings


प्रश्नावली

एकांकी से :

प्रश्न 1. ‘सड़क के किनारे एक सुंदर फ्लैट में बैठक का दृश्य । उसका एक दरवाजा सड़क वाले बरामदे में खुलता है………उस पर एक फ़ोन रखा हैं ' इस बैठक की पूरी तस्वीर बनाओ ।

उत्तर 

[अपनी कल्पना अनुसार चित्र बनाये]


प्रश्न 2 . माँ मोहन के ' ऐसे - ऐसे ' कहने पर क्यों घबरा रही थी ?

उत्तर 

मोहन ने कहा की उसे पेट में तकलीफ़ हो रही हैं। परन्तु वह अपनी तकलीफ़ का कारण बोलने के बदले केवल "ऐसे-ऐसे" कर रहा था। उसकी माँ को लगा की उसे कोई नई गंभीर बीमारी हुई होगी इसलिए वे घबरा गई।


प्रश्न 3. ऐसे कौन - कौन से बहाने होते हैं जिन्हें मास्टर जी एक ही बार में सुनकर समझ जाते हैं ? ऐसे कुछ बहानों के बारे में लिखो ।

उत्तर 

कुछ बहाने सुनते ही मास्टर जी पहचान जाते हैं, उनमे से कुछ हैं -पेट दर्द, सर दर्द, दूर के रिश्तेदार की शादी, बुखार इत्यादि।


अनुमान और कल्पना :

प्रश्न 1. स्कूल के काम से बचने के लिए मोहन ने कई बार पेट में 'ऐसे - ऐसे' होने के बहाने बनाए । मान लो, एक बार उसे सचमुच पेट में दर्द हो गया और उसकी बातों पर लोगों ने विश्वास नहीं किया, तब मोहन पर क्या बीती होगी ?

उत्तर 

यदि मोहन को सच में पेट दर्द हो जाए परन्तु अक्सर झूठ बोलने के कारण कोई उसका विश्वास बिल्कुल भी नहीं करेगा। उसकी हालत उस लड़के की तरह हो जाएगी जो "भेड़िया" आया चिल्लाता था। अंत में उसका नुकसान ही होगा । तब उसे अपने झूठ का अहसास होगा। यह समभाव हैं की शायद वह अब जीवन में कभी भी झूठ नहीं बोलेगा। हम आशा करते हैं की उसके मास्टर जी एक बार फिर से सच प्रकाशित कर देंगे, पर इस बार मोहन के हक में।


प्रश्न 2. पाठ में आए वाक्य - 'लोचा - लोचा फिरे है' के बदले 'ढीला-ढाला हो गया है या बहुत कमजोर हो गया हे'- लिखा जा सकता है । लेकिन, लेखक ने संवाद में विशेषता लाने के लिए बोलियों के रंग - ढंग का उपयोग किया है । इस पाठ में इस तरह की अन्य पंक्तियाँ भी हैं, जैसे-

1. इत्ती नयी - नयी बीमारियाँ निकली हैं,

2. राम मारी बीमारियों ने तंग कर दिया,

3. तेरे पेट में तो बहुत बड़ी दाढ़ी है ।

अनुमान लगाओ, इन पंक्तियों को दूसरे ढंग से कैसे लिखा जा सकता है?

उत्तर 

1. कई नई बीमारियाँ निकली हैं।

2. इस बीमारी ने परेशान कर दिया हैं।

3. तुम बहुत चालाक हो ।


प्रश्न 3. मान लो कि तुम मोहन की तबीयत पूछने जाते हो । तुम अपने और मोहन के बीच की बातचीत को संवाद के रूप में लिखो ।

उत्तर 

इन बिन्दूओ का धयान रखते हुए एक कहानी लिखिए।

मोहन का ऐसे - ऐसे कहने ।

दोस्त का डॉक्टर और वेद के बारे में पूछना

उद्धरण -

दोस्त -क्या हुआ मोहन?

मोहन - पेट में ऐसे - ऐसे हो रहा हैं। कल स्कूल नहीं जा पाऊंगा।

दोस्त - ऐसे - ऐसे मतलब कैसे?

मोहन - ऐसे - ऐसे मतलब .....

दोस्त - डॉक्टर ने दवा दी ?

मोहन - हाँ।

दोस्त - मैं आभी जा रहा हूँ, कल फिर आऊँगा आशा करता हूँ की तुम तब ठीक हो गए होंगे।


प्रश्न 4. संकट के समय के लिए कौन - कौन से नंबर याद रखे जाने चाहिए ? ऐसे वक्त में पुलिस, फायर ब्रिगेड और डॉक्टर से तुम कैसे बात करोगे ? कक्षा में करके बताओ ।

उत्तर 

आपातकालीन सेवा - 112

पुलिस - 100

फायर ब्रिगेड- 101

एम्बुलेंस-102


ऐसा होता तो क्या होता :

प्रश्न 1. मास्टर : …….स्कूल का काम तो पूरा कर लिया है ?

(मोहन हाँ में सिर हिलाता है। )

मोहन : जी, सब काम पूरा कर लिया है ।

इस स्थिति में नाटक का अंत क्या होता ? लिखो ।

उत्तर 

ऐसी स्थिति में मास्टर जी समझ जाते की सचमुच दर्द है । वह मोहन के माता पिता को उसका ठीक से इलाज कराने की सलाह देते


भाषा की बात :

(क) मोहन ने केला और संतरा खाया ।

(ख) मोहन ने केला और संतरा नहीं खाया ।

(ग) मोहन ने क्या खाया ? |

(घ) मोहन केला और संतरा खाओ ।

उपर्युक्त वाक्यों में से पहला वाक्य एकांकी से लिया गया है । बाकी तीन वाक्य देखने में पहले वाक्य से मिलते-जुलते हैं, पर उनके अर्थ अलग - अलग हैं। पहला वाक्य किसी कार्य या बात के होने के बारे में बताता है इसे विधिवाचक वाक्य कहते हैं । दूसरे वाक्य का संबंध उस कार्य के न होने से है, इसलिए उसे निषेधवाचक वाक्य कहते हैं । (निषेध का अर्थ नहीं या मनाही होता है । ) तीसरे वाक्य में इसी बात को प्रश्न के रूप में पूछा जा रहा है, ऐसे वाक्य प्रश्नवाचक कहलाते हैं । चौथे वाक्य में मोहन से उसी कार्य को करने के लिए कहा जा रहा है । इसलिए उसे आदेशवाचक वाक्य कहते हैं। आगे एक वाक्य दिया गया है । इसके बाकी तीन रूप तुम सोचकर लिखो-

बताना : रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे ।

नहीं / मना करना : ________

पूछना : ________

आदेश देना : _________

उत्तर 

नहीं / मना करना – रुथ ने कपड़े अलमारी में नही रखे ।

पूछना : क्या रुथ ने कपड़े अलमारी में रखे?

आदेश देना: रुथ, अलमारी में कपड़े रखो।

Previous Post Next Post