NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 1 सूरदास - पद


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NCERT Solutions for Chapter 1 सूरदास – पद (Surdas - Pad)

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सूरदास (Surdas) 1478

Related Study

  • Summary of सूरदास – पद Class 10 Hindi
  • Important Questions for सूरदास – पद Class 10 Hindi
  • MCQ for सूरदास – पद Class 10 Hindi

Topics Covered

  • प्रश्न अभ्यास
  • रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न अभ्यास 

NCERT Solutions for Chapter 1 सूरदास – पद Class 10 Hindi प्रश्न अभ्यास

1. गोपियों द्वारा उध्दव को भाग्यवान कहने मे क्या व्यंग्य निहित है?

उत्तर

गोपियों द्वारा उध्दव को भाग्यवान कहने में यह व्यंग्य निहित है कि वास्त्व में उद्धव कितने भाग्यहीन है, जो नंदलाल के इतने करीब होते हुए भी उनके प्रेम में सराबोर होने से वंचित है।

उध्दव, कृष्ण के प्रेम-रूपी सागर के सानिध्य में रहते हुए भी उनके असीम प्रेम के सुखद अनुभव से पूर्णतया वंचित है।


2. उद्धव के व्यवहार की तुलना किस-किस से की गई है?

उत्तर

गोपियों ने उध्दव के व्यवहार की तुलना निम्नलिखित उदाहरणों से की है-

  • उध्दव के व्यवहार की तुलना गोपियों ने कमल के पत्ते से की है, जैसे कमल का पत्ता जल मे रहकर भी डुबने से बचा रहता है ठीक उसी प्रकार उध्दव भी कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी कृष्ण प्रेम मे सराबोर होने से बचे रहते है।
  • उध्दव के व्यवहार को गोपियों ने जल के मध्य रखी तेल की गगरी के समान बताया है, जिस प्रकार पानी की एक बूँद भी उस गगरी पर नहीं ठहर पाती और ना ही उस गगरी पर ज़ल का कोई प्रभाव पड़ता है ठीक उसी प्रकार कृष्ण के पास रहते हुए भी कृष्ण प्रेम का उध्दव पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।


3. गोपियों ने किन-किन उदाहरणों के माध्यम से उद्धव को उलाहने दिए हैं?

उत्तर

गोपियों ने निम्नलिखित उदाहरणों से उध्दव को उलाहने दिए है-

  • गोपियाँ उध्दव को कमल का पत्ता कहती है जिस प्रकार पानी मे रहते हुए भी डुबने से बचा रहता है, उसी प्रकार उध्दव भी कृष्ण के सानिध्य में रहते हुए भी कृष्ण प्रेम में डुबने से बचे रहते है।
  • गोपियाँ उध्दव को तेल से भरी गगरी कहकर उलाहती है जिस प्रकार जल के मध्य रहते हुए भी कमल के पत्ते को जल से कोई प्रभाव नहीं होता ठीक उसी प्रकार उध्दव को भी कृष्ण के बीच रहते हुए भी कृष्ण प्रेम का कोई प्रभाव नहीं होता।
  • गोपियाँ उध्दव को ‘बड़भागी’ कहती है जो कृष्ण के संग रहते हुए भी कृष्ण प्रेम के बंधनो से पूर्णतया मुक्त है।
  • गोपियों को उध्दव की योग साधना की बाते कड़वी ककरी के समान लगती है क्योकि वो कृष्ण प्रेम मे अपना सर्वस्व न्यौछावर कर चुकी है।
  • गोपियाँ उध्दव को यह कहकर भी 3लाहती है कि वह प्रेम रूपी नदी मे पाँव डुबाकर भी प्रभाव रहित है।


4. उध्दव द्वारा दिए गए योग के संदेश ने गोपियों की विरहाग्नि में घी का काम कैसे किया?

उत्तर

गोपियाँ कृष्ण के आने की आस लगाए हुए थी और साथ ही वह विरह की अग्नि मे तप रही थी। वह इस आस में थी कि कृष्ण एक दिन उनकी व्यथा समझेगे और उनके प्रेम को अपनाऐगे परंतु कृष्ण ने अलग ही रास्ता अपनाया। नंदलाल ने उध्दव को गोपियों के पास जाकर उनको योग और साधना का पाठ सिखाने को कहा और गोपियाँ जो कृष्ण के इंतजार मे पलके बिछाए खड़ी थी वह उध्दव के मुँख से योग साधना की बाते सुनकर अती क्रोधित हो जाती है।
इसी प्रकार उद्धव की योग साधाना की बातों ने गोपियों के मन मे जल रही विरहाग्नि मे घी डालने का काम कर उसे और प्रज्वलित कर दिया।


5. ‘मरजादा न लही’ के माध्यम से कौन-सी मर्यादा न रहने की बात की जा रही है?

उत्तर

‘मरजादा न लही’ अर्थात् गोपियों द्वारा प्रेम की मर्यादा न रहने की बात की गई है। गोपियाँ कृष्ण के इंतजार मे पलके बिछाए अपने दिन काट रही थी परंतु कृष्ण फिर भी नहीं आए तथा उन्होने उध्दव के साथ योग और साधना का संदेश गोपियों को भेज दिया जिसपर गोपियों को मर्यादा छोड़कर बोलने पर मजबूर होना पड़ा।
प्रेम की चाह प्रेम ही मिटा सकती है। कृष्ण ने वापिस आने का वादा नहीं रखा जिसकी वजह से प्रेम की मर्यादा नहीं रह पाई।


6. कृष्ण के प्रति अपने अनन्य प्रेम को गोपियो ने किस प्रकार अभिव्यक्त किया है?

उत्तर

कृष्ण के प्रति अपने प्रेम को गोपियों ने निम्नलिखित प्रकार से अभिव्यक्त किया है-

  • गोपियों ने स्वयं की तुलना गुड़ (कृष्ण प्रेम) से लिपटी चींटी से की है जो केवल एक ही चींज को अपना आधार माने उससे चिपटी हुई है और फिर अपने को उस चीज से ना छुड़ा पाने के कारण उसी पर अपने प्राण त्याग देती है।
  • गोपियों ने स्वयं को हारिल पक्षी बाताया है और नंदलाल को लकड़ी जिस प्रकार हारिल पक्षी किसी भी स्थिति मे अपने द्वारा पकड़ी लकड़ी नहीं छोड़ता उसी प्रकार गोपियों ने कृष्ण को अपने हृदय में बसा लिया है और अब वह किसी भी स्थिति में कृष्ण को नहीं छोड़ने वाली है।
  • गोपियाँ कहती है कि वह जागते, सोते, स्वप्न मे हर समय कृष्ण नाम की ही रट लगाए रहती है।


7. गोपियों ने उध्दव से योग की शिक्षा कैसे लोगो को देने की बात कही है?

उत्तर

गोपियों ने उद्धव को योग की शिक्षा ऐसे लोगो को देने को कहीं है जिनका मन चंचल व अस्थिर है।
गोपियों ने तो पहले ही अपना सारा ध्यान कृष्ण प२ केंद्रित कर रखा है तो उनको योग व साधना की क्या आवश्यकता, उनका पहले से ही मन स्थिर व केंद्रित है।


8. प्रस्तुत पदों के आधार पर गोपियों का योग-साधना के प्रति दृष्टिकोण स्पष्ट करें।

उत्तर

गोपियों के अनुसार योग-साधना उन लोगो के लिए है जिनका मन अस्थिर व चंचल हो।
गोपियों के लिए योग-साधना की बातें कोई अर्थ नहीं रखती क्योंकि उनका मन स्थिर व शांत है इसीलिए उनको यह सारी बातें भी कड़वी ककरी के समान प्रतीत होती है।


9. गोपियों के अनुसार राजा का धर्म क्या होना चाहिए।

उत्तर

गोपियों के अनुसार राजा का धर्म प्रजा की खुशी मे खुश होना तथा प्रजा के हित मे काम करना होना चाहिए।


10. गोपियों को कृष्ण मे ऐसे कौन से परिवर्तन दिखाई दिए जिनके कारण वह अपना मन वापस पा लेने की बात कहती है?

उत्तर

गोपियों को लगता है कि कृष्ण ने अब खूब राजनीति सीख ली है। पहले वह प्रेम का जवाब प्रेम से देते थे परंतु अब वह छल कपट करना सीख गए है।
वापिस आने का वादा करके अब वह उद्धव को हमें योग साधना का संदेश देने भेज रहे है, उन्होने प्रेम की मर्यादा का उल्लंघन किया है।
गोपियों के अनुसार कृष्ण अब पहले से अधिक चतुर हो गए है इसलिए गोपियाँ अब कृष्ण से अपना मन वापिस पा लेना चाहती है।


11. गोपियों ने अपने वाक्चतुर्य के आधार पर ज्ञानी च्छव को परास्त कर दिया, उनके वाक्चातुर्य की विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर

गोपियों की वाक्चातुर्य की विशेषताऍं निम्नलिखित है-

  • साहसी – गोपियाँ अपनी हर एक बात बहुत ही साहस के साथ उध्दव के समक्ष रखती है।
  • स्पष्टता – गोपियाँ बिना बात को इधर-उधर घुमाए उद्धव से स्पष्ट बात करती है।
  • व्यंग्यात्मकता – गोपियाँ अपनी बातो मे व्यंग्य का भी सटीक प्रयोग करती है।
  • गोपियाँ विभिन्न प्रकार के उदाहरण देकर अपनी कही हर बात को जीवंत कर देती है।
  • सहजता – गोपियाँ अपने दिल की हर बात बड़े ही सहज ढंग से उद्धव के समक्ष रख देती है।


12. संकलित पदों को ध्यान मे रखते हुए सूर के भ्रमरगीत की मख्य विशेषताएँ लिखिए।

उत्तर

भ्रमरगीत की विशेषताएँ निम्नलिखित है –

  • संगीतात्मकता का गुण पाठक को भ्रमरगीत से जोड़े हुए था।
  • अनुप्रास, उपमा, रूपक अलंकारो की छ्टा ने गीत मे चार-चाँद लगा दिए।
  • गोपियों की विरह वेदना का मार्मिक वर्णन।
  • गोपियों की तर्कशक्ति का चित्रण।
  • भाषा की प्रवाहमयता की अनूठी झलक।
  • शुद्ध ब्रजभाषा का प्रयोग।
  • भाषा की सरलता और सरसता की झलक।

NCERT Solutions for Chapter 1 सूरदास – पद Class 10 Hindi रचना और अभिव्यक्ति

13. गोपियो ने उध्दव के सामने तरह-तरह के तर्क दिए, आप अपनी कल्पना से और तर्क दिजिए।

उत्तर

गोपियों ने उद्धव के आगे तरह-तरह के तर्क दिए, हम भी निनलिखित तर्क दे सकते है-
योग-साधना का मार्ग कठिन है, उसे हम नहीं अपना सकते।
यदि कृष्ण ने हमारा प्रेम न अपनाकर हमारा मान नहीं रखा तो अब हम उनकी योग साधना की बातें भला क्यों माने।


14. उध्दव ज्ञानी थे, नीति की बातें जानते थे; गोपियों मे ऐसी कौन सी शक्ति थी जो उनके वाक्यचातुर्य मे मुखरित हो उठी ?

उत्तर

भक्ति एवं प्रेम मे सर्वाधिक शक्ति होती है, और यह शक्ति गोपियों मे समाई हुई थी इसलिए उद्धव जैसा ज्ञानी भी गोपियों के तर्कों के आगे न टिक सका।


15. गोपियों ने यह क्यों कहा कि हरि अब राजनीति पढ़ आए है? क्या आपको गोपियों के इस कथन का विस्तार समकालीन राजनीति मे नज़र आता है, स्पष्ट कीजिए।

उत्तर

गोपियों ने ऐसा इसलिए कहा है कि ‘हरि राजनीति सीख आए है’ क्योंकि कृष्ण अब छ्ल-कपट का सहारा लेने लग गए है और बाते घुमा फिराकर कहने लगे है वो भी दुसरो(उध्दव) के सहारे।
कृष्ण ने आने का वादा किया परंतु उसे पुरा नहीं किया और आज की भ्रष्ट राजनीती भी इससे मेल खाती है ।
यहाँ भी नेता वादें तो कई करते है परंतु निभाते एक नहीं।

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