NCERT Solutions for Class 10 Hindi Kshitij Chapter 16 नौबतखाने में इबादत - यतींद्र मिश्र


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NCERT Solutions for Chapter 16 नौबतखाने में इबादत - यतींद्र मिश्र (Naubatkhane me Ibadat - Yatindra Mishra)

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यतींद्र मिश्र (Yatindra Mishra) 1977-

Related Study

  • Summary of नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi
  • Important Questions for नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi
  • MCQ for नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi

Topics Covered

  • प्रश्न अभ्यास
  • रचना और अभिव्यक्ति
  • भाषा अध्ययन

प्रश्न अभ्यास 

NCERT Solutions for Chapter 16 नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi प्रश्न अभ्यास

1. शहनाई की दुनिया मे डुमराँव को क्यों याद किया जाता है?

उत्तर

मशहूर शहनाई वादक ‘बिस्मिल्ला खाँ’ का जन्म डुमराँव गाँव मे ही हुआ था तथा शहनाई बजाने मे रीड का प्रयोग होता है जो डुमराँव मे सोन नदी के किनारे पाई जाती है। इन्ही कारणो की वजह से शहनाई की दुनिया मे डुमराँव को याद किया जाता है।


2. बिस्मिल्ला खाँ को शहनाई की मंगलध्वनि का नायक क्यों कहा गया है?

उत्तर

शहनाई ऐसा वाद्य यंत्र है जो मंगल कार्यों मे बजाया जाता है और खाँ शहनाई बजाने मे उस्ताद इसी कारण से उन्हें मंगलध्वनि का नायक कहा जाता है।


3. सुषिर-वाद्यों से क्या अभिप्राय है? शहनाई को ‘सुषिर वाद्यों मे शाह’ की उपाधि क्यों दी गई होगी?

उत्तर

सुषिर-वाद्यों से अभिप्राय है फूँक कर बजाया जाने वाला यंत्र। शहनाई जैसा ऐसा कोई सुषिर-वाद्य नहीं है जिसकी घ्वनि मे इतनी मिठास हो, इसलिए इसे ‘सुषिर-वाद्यों मे शाह’ की उपाधि दी गई है।


4. आशय स्पष्ट कीजिए।

(क) ‘फटा सुर न बख्शे। लुंगिया का क्या है, आज फटी है, तो कल सी जाएगी।’
(ख) ‘मेरे मालिक सुर बख्श दे। सुर मे वह तासीर पैदा कर कि आँखो से सच्चे मोती की तरह गनगढ़ आँसू निकल आएँ।’

उत्तर

(क) यहाँ खाँ ने सुर और कपड़े की तुलना करते हुए बताया है कि उनके लिए सुर अधिक मूल्यवान है। इसी कारण वह ईश्वर से प्रार्थना करते है कि भले ही उनके कपड़े फटे हो मगर उनके सुर कभी मत फटने देना।

(ख)खाँ हमेशा ही ईश्वर से सच्चा सुर पाने की प्रार्थना करते थे। वह ईश्वर से कहते थे कि है ईश्वर, मुझे ऐसा सुर देना जिसमे लोगो के दिलो को छूने की शक्ति हो तथा उस सुर को सुनने वालो की आँखो से सच्चे मोती की तरह आँसू निकल जाए।


5. काशी में हो रहे कौन-से परिवर्तन खाँ को व्यथित करते थे?

उत्तर

काशी की लुप्त होती परंपराएँ, वहाँ के अपने तौर-तरीके तथा संगीत-साहित्य मे भी कमी आ गई है। वहाँ अब हिन्दू मुसलमानो मे भी पहले जैसी एकता नहीं २ह गई। यह सारे काशी मे आते परिवर्तन खाँ को व्यथित करते है।


6. पाठ मे आए किन प्रसंगों के आधार पर आप कह सकते है कि-

(क) खाँ मिली-जुली संस्कृति के प्रतीक थे।
(ख) वे वास्तविक अर्थों मे एक सच्चे इन्सान थे।

उत्तर

(क) खाँ जन्म से एक मुस्लिम थे परंतु वह हिन्दू धर्म को भी मानते थे। वह काशी विश्वनाथ और बालाजी को बहुत मानते थे। वह जब भी कहीं शहनाई बजाते तो काशी विश्वनाथ और बालाजी की दिशा की ओर मुंह करके ही बजाते थे।

(ख)खाँ वास्तविक अर्थों मे एक सच्चे इन्सान थे। वह किसी एक धर्म से ज्यादा मानवता पर विश्वास करते थे। भारत रत्न से सम्मानित होने के बाद भी 3नमे कोई घमंड नहीं आया।


7. बिस्मिल्ला खाँ के जीवन से जुड़ी उन घटनाओं और व्यक्तियों का उल्लेख करें जिन्होंने उनकी संगीत साधना को समृद्ध किया?

उत्तर

बिस्मिल्ला खाँ जब सिर्फ़ चार साल के थे तब छुपकर अपने नानाजी को शहनाई बजाते हुए सुनते थे। रियाज़ के बाद जब उनके नानाजी उठकर चले जाते थे तब अपनी नाना वाली शहनाई ढूँढते थे और उन्हीं की तरह शहनाई बजाने का प्रयास करते। बिस्मिल्ला खाँ के दोनों मामा सादिक हुसैन और अलीबख्य शहनाई वादक थे तब बिस्मिल्ला खाँ धड़ से एक पत्थर जमीन में मारा करते थे। इस प्रकार उन्होंने संगीत में दाद देना सीखा। उनसे ही उन्हें शहनाई बजाने की प्रेरणा मिली और शहनाई बजाने में रुचि लेने लगे। वे मंदिर उस रास्ते से जाते थे जिस रस्ते पर रसूलन और बतूलनबाई का घर पड़ता था ताकि वे उनका रियाज सुन सके। उनके द्वारा गाई गई टप्पे, ठुमरी, दादरा आदि को सुनकर उनके मन में संगीत के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। बिस्मिल्ला खाँ जब कुलसुम को कलकलाते देशी घी की कढ़ाई में छन्न से उठने वाली आवाज में संगीत के सारे आरोह-अवरोह दिखाई देते थे। इन व्यक्तियों एवं घटनाओं ने बिस्मिल्ला खां की संगीत साधना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई|


NCERT Solutions for Chapter 16 नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi रचना और अभिव्यक्ति

8. बिस्मिल्ला खाँ के व्यक्तित्व की कौन-कौन सी विशेषताओं ने आपको प्रभावित किया?

उत्तर

  1. ईश्वर के प्रति उनकी अगाध श्रध्दा।
  2. मुस्लिम होते हुए भी हिन्दू धर्म का सम्मान किया।
  3. धर्म से ज्यादा मानवता को माना।
  4. भारत रत्न मिलने के बाद भी कोई घमंड नहीं आया।
  5. हर किसी के प्रति दया भाव की भावना।


9. मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव को अपने शब्दों में लिखिए।

उत्तर

बिस्मिल्ला खाँ अपने धर्म के प्रति संपूर्ण समर्पित थे। अपने मजहब की परंपराओं के प्रति शालीन और सजग थे। अपने नियम के अनुसार वे सच्चे मुसलमान की तरह पाँचों वक्त की नमाज अदा करते थे मुहर्रम पर्व के साथ बिस्मिल्ला खाँ और शहनाई का सबंध बहुत गहरा है। मुहर्रम के महीने में शिया मुसलमान शोक मनाते जिसमें शिया मुसलमान हजरत इमाम हुसैन और उनके वंशजों के प्रति अजादारी मानते हैं। इन दिनों कोई राग-रागिनी नहीं बजाई जाती थी। इसलिए पूरे दस दिनों तक उनके खानदान का कोई व्यक्ति न तो मुहर्रम के दिनों में शहनाई बजाता था और न ही संगीत के किसी कार्यक्रम में भाग लेते थे। आठवीं तारीख उनके लिए खास महत्व की होती थी। आठवें दिन खाँ साहब खड़े होकर शहनाई बजाते और दालमंड़ी में फातमान के करीब आठ किलोमीटर की दूरी तक पैदल रोते हुए, नौहा बजाते हुए जाते थे। उनकी आँखें इमाम हुसैन और उनके परिवार के लोगों की शहादत में नम रहती थीं।


10. बिस्मिल्ला खाँ कला के अनन्य उपासक थे, तर्क सहित उत्तर दीजिए।

उत्तर

खाँ कला के अनन्य उपासक थे। वे हर बार ईश्वर से यही प्रार्थना करते कि ३नका सुर हर किसी के दिल तक पहुँच जाए तथा वह धन व कला मे से भी कला को ऊँचा स्थान देते थे।


NCERT Solutions for Chapter 16 नौबतखाने में इबादत Class 10 Hindi भाषा अध्ययन

11. निम्नलिखित मिश्र वाक्यों के उपवाक्य छाँटकर भेद भी लिखिए -

(क) यह ज़रूर है कि शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।

(ख) रीड अंदर से पोली होती है जिसके सहारे शहनाई को फूंका जाता है।

(ग) रीड नरकट से बनाई जाती है जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।

(घ) उनको यकीन है, कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।

(ङ) हिरन अपनी ही महक से परेशान पूरे जंगल में उस वरदान को खोजता है जिसकी गमक उसी में समाई है।

(च) खाँ साहब की सबसे बड़ी देन हमें यही है कि पूरे अस्सी बरस उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।

उत्तर

(क) उपवाक्य- शहनाई और डुमराँव एक-दूसरे के लिए उपयोगी हैं।

भेद- संज्ञा उपवाक्य।

(ख) उपवाक्य- जिसके सहारे शहनाई को फूँका जाता है।

भेद- विशेषण उपवाक्य।

(ग) उपवाक्य- जो डुमराँव में मुख्यतः सोन नदी के किनारों पर पाई जाती है।

भेद- विशेषण उपवाक्य

(घ) उपवाक्य- कभी खुदा यूँ ही उन पर मेहरबान होगा।

भेद- संज्ञा उपवाक्य।

(ड़) उपवाक्य- जिसकी गमक उसी में समाई है।

भेद- विशेषण उपवाक्य

(च) उपवाक्य- पूरे अस्सी वर्ष उन्होंने संगीत को संपूर्णता व एकाधिकार से सीखने की जिजीविषा को अपने भीतर जिंदा रखा।

भेद- संज्ञा उपवाक्य।


12. निम्नलिखित वाक्यों को मिश्रित वाक्यों में बदलिए -

(क) इसी बालसुलभ हँसी में कई यादें बंद हैं।

(ख) काशी में संगीत आयोजन की एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।

(ग) धत्! पगली ई भारतरत्न हमको शहनईया पे मिला है, लुंगिया पे नाहीं।

(घ) काशी का नायाब हीरा हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा।

उत्तर

(क) यह ऐसी बालसुलभ हँसी है जिसमें कई यादें बंद हैं।

(ख) काशी में जो संगीत समारोह आयोजन किए जाते हैं उनकी एक प्राचीन एवं अद्भुत परंपरा है।

(ग) धत्! पगली ई जो भारतरत्न हमें मिला है वह शहनाई पर मिला है, लुंगिया पर नहीं।

(घ) काशी का वह नायाब हीरा है जो हमेशा से दो कौमों को एक होकर आपस में भाईचारे के साथ रहने की प्रेरणा देता रहा है।

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