NCERT Solutions for Class 10 Hindi Sparsh Chapter 6 मधुर मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा
Chapter Name | NCERT Solutions for Chapter 6 मधुर मधुर मेरे दीपक जल - महादेवी वर्मा (Madhur Madhur Deepak Jal- Mahadevi Verma) |
Author Name | महादेवी वर्मा (Mahadevi Verma) 1907-1987 |
Related Study |
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Topics Covered | (क) प्रश्नोत्तर (ख) भाव स्पष्ट (ग) भाषा अध्ययन |
NCERT Solutions for Chapter 6 महादेवी वर्मा - मधुर मधुर मेरे दीपक जल Class 10 Hindi प्रश्नोत्तर
क. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
1. प्रस्तुत कविता में ‘दीपक’ और ‘प्रियतम’ किसके प्रतीक हैं?
उत्तर
प्रस्तुत कविता में कवि ने ईश्वर के प्रति अपने मन में बसी आस्था को दीपक और ईश्वर को प्रियतम कहा है।
2. दीपक से किस बात का आग्रह किया जा रहा है और क्यों?
उत्तर
प्रस्तुत कविता में कवियित्री ने दीपक से निरंतर जलते रहने का आग्रह किया है क्योंकि संपूर्ण मानवता की भलाई और मोक्ष प्राप्ति के लिए यह अति आवश्यक है कि सभी मनुष्यों के दिलों से मोह-माया, छल-कपट, ईर्ष्या, द्वेष, अहंकार, जैसे विकारों का खात्मा होकर, ईश्वर के प्रति अटूट आस्था और विश्वास जागृत हो और वे सभी ईश्वर की भक्ति में निरंतर लीन रहे।
3. ‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ क्यों जल जाना चाहता है?
उत्तर
‘विश्व-शलभ’ दीपक के साथ इसलिए जलना चाहता है, क्योंकि वह उसके साथ जलकर संपूर्ण संसार में प्रकाश फैलाना चाहता है। जिस प्रकार दीपक स्वयं को जलाकर प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार विश्व-रूपी पतंगे की भी यहीं चाहत है कि वह दीपक के साथ जलकर अपना सर्वस्व न्योछावर कर दे और संपूर्ण विश्व में ईश्वर के प्रति आस्था व स्नेह-रूपी प्रकाश फैला दें।
4. आपकी दृष्टि में ‘मधुर मधुर मेरे दीपक जल’ कविता का सौंदर्य इनमें से किस पर निर्भर है –
(क) शब्दों की आवृत्ति पर।
(ख) सफल बिंब अंकन पर।
उत्तर
कविता का सौंदर्य शब्दों की आवृत्ति और सफल बिंब अंकन दोनों पर निर्भर करता है। दोनों का ही अपना-अपना महत्व होता है। शब्दों की सही आवृत्ति और शब्दों का सही चुनाव, कविता को लयबद्ध और सहज बनाता है तथा कविता में किया गया सफल बिंब अंकन, उसका सही अर्थ प्रस्तुत करता है।
5. कवयित्री किसका पथ आलोकित करना चाह रही हैं?
उत्तर
कवयित्री अपने प्रियतम यानी ईश्वर का पथ आलोकित करना चाह रही है। वह चाहती है कि संसार के सभी मनुष्यों का ईश्वर पर विश्वास और स्नेह बना रहे।
6. कवयित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन से क्यों प्रतीत हो रहे हैं?
उत्तर
कवित्री को आकाश के तारे स्नेहहीन इसलिए प्रतीत हो रहे हैं, क्योंकि उनका प्रकाश सिर्फ उन्हीं तक कायम है। आसमान में अनगिनत तारें मौजूद है, जिनके कारण पूरा आकाश जलता है, लेकिन उनका प्रकाश किसी और के काम का नहीं है; इसलिए ऐसा प्रतीत होता है, मानो उनमें ईश्वर के प्रति आस्था, भक्ति, प्रेम और परोपकार का अभाव हो।
7. पतंगा अपने क्षोभ को किस प्रकार व्यक्त कर रहा है?
उत्तर
पतंगा दीपक को रोशनी फैलाते देखकर चाहता है कि वह भी उसके साथ जलकर और अपना सर्वस्व उस पर न्यौछावर करके, संसार को प्रकाशित करना चाहता है; लेकिन वह अपने मन में बसे अहंकार, ईर्ष्या, आदि की वजह से ऐसा नहीं कर पाता। वह मोक्ष प्राप्ति करके ईश्वर से मिलन की इच्छा रखता है, इसलिए उसे पश्चाताप होता है।
8. कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से ‘मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस’ जलने को क्यों कहा है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
प्रस्तुत कविता में कवयित्री ने दीपक को हर बार अलग-अलग तरह से ‘मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और विहँस-विहँस’ जलने को इसलिए कहा है क्योंकि वह चाहती है कि उसके मन का आस्था-रूपी दीपक हर परिस्थिति में बिना थमे, निरंतर जलता रहे और संपूर्ण संसार को प्रकाशित करता रहे।
9. नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों को पढ़िए और प्रश्नों के उत्तर दीजिए –
जलते नभ में देख असंख्यक,
स्नेहहीन नित कितने दीपक;
जलमय सागर का उर जलता,
विद्युत ले घिरता है बादल!
विहँस विहँस मेरे दीपक जल!
(क). ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में ‘स्नेहहीन दीपक’ आकाश के उन असंख्य तारों को कहा है, जिनका प्रकाश सिर्फ उन्हीं तक सीमित रहता है, जिनके मन में ईश्वर के प्रति प्रेम, आस्था, भक्ति व विश्वास का अभाव होता और जिनके मन में दूसरों के प्रति परोपकार व पुण्य करने की भावना नहीं होती।
(ख). सागर को ‘जलमय’ कहने का क्या अभिप्राय है और उसका हृदय क्यों जलता है?
उत्तर
सागर को जलमय इसलिए कहा गया है क्योंकि विशाल सागर में अथाह जल होता है, लेकिन उसके खारेपन की वजह से वह किसी काम का नहीं होता और इसलिए उसका ह्रदय पश्चाताप की भावना से जलता है। कवयित्री ने सागर का उदाहरण देकर यह दर्शाया है कि मनुष्य-जीवन भी ईश्वर की भक्ति और परोपकार के बिना व्यर्थ है।
(ग). बादलों की क्या विशेषता बताई गई है?
उत्तर
बादल परोपकारी होते है क्योंकि वे दूसरों के काम आते हैं। बादल वर्षा करके पूरे संसार में हरियाली फैलाते हैं और बिजली की चमक से संसार को आलोकित करते हैं।
(घ). कवयित्री दीपक को ‘विहँस विहँस’ जलने के लिए क्यों कह रही हैं?
उत्तर
कवियत्री दीपक को आकाश के असंख्य तारों, सागर व बादलों का उदाहरण देकर, उत्साहपूर्वक और प्रसन्नता के साथ जलने को कहती है, क्योंकि ये सभी बहुत अधिक योग्यता रखते है, लेकिन फिर भी किसी काम के नहीं होते और दीपक छोटा-सा होते हुए भी संपूर्ण संसार में उजियारा फैलाता है।
10. क्या मीराबाई और आधुनिक मीरा ‘महादेवी वर्मा’ इन दोनों ने अपने-अपने आराध्य देव से मिलने के लिए जो युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ समानता या अतंर प्रतीत होता है? अपने विचार प्रकट कीजिए?
उत्तर
- मीराबाई और आधुनिक मीरा ‘महादेवी वर्मा’ -दोनों ही अपने आराध्य प्रभु के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर देना चाहती है।
- मीराबाई श्रीकृष्ण को अपना प्रियतम मानती है और उन्होंने अपनी कृतियों में श्रीकृष्ण के सौंदर्य का वर्णन किया है; वही महादेवी वर्मा ने ईश्वर को निराकार ब्रह्म माना है।
- मीराबाई श्रीकृष्ण की दासी बनकर उनकी सेवा व भक्ति करना चाहती है; वही महादेवी वर्मा मनुष्यता व दूसरों की भलाई करना चाहती है और संसार में ईश्वर के प्रति आस्था, प्रेम व विश्वास बनाए रखना चाहती है।
- मीराबाई ने अपनी कृतियों में सहज एवं सरल जनभाषा के माध्यम से अपने मन के भावों को प्रकट किया है; वही महादेवी वर्मा ने विभिन्न प्रकार के बिंबों का प्रयोग किया है।
NCERT Solutions for Chapter 6 महादेवी वर्मा - मधुर मधुर मेरे दीपक जल Class 10 Hindi भाव स्पष्ट
ख. निम्नलिखित का भाव स्पष्ट कीजिए-
1. दे प्रकाश का सिंधु अपरिमित,
तेरे जीवन का अणु गल गल!
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने दीपक को संसार में प्रकाश फैलाने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने के लिए प्रोत्साहित किया है और कहा है कि तू जलकर अपने जीवन का हर अणु नष्ट कर दें और विश्व में असीमित प्रकाश फैला दें।
2. युग-युग प्रतिदिन प्रतिक्षण प्रतिपल,
प्रियतम का पथ आलोकित कर!
उत्तर
प्रस्तुत पंक्तियों में कवयित्री ने अपने मन के आस्था-रूपी दीपक को युगों-युगों तक, हर दिन, हर क्षण और हर पल जलते रहकर, अपने प्रियतम यानी ईश्वर के प्रति लोगों के दिलों में प्रेम, आस्था और भक्ति को बनाए रखने के लिए कहा है; ताकि संसार में ईश्वर का अस्तित्व बना रहे।
3. मृदुल मोम सा घुल रे मृदु तन!
उत्तर
इस पंक्ति में कवयित्री ने कहा है कि जग को प्रकाशित करने के लिए दीपक को आग में अपने कोमल तन को मोम की भांति घोलना पड़ेगा और मनुष्य को भी ईश्वर प्राप्ति के लिए कठिन साधना के माध्यम से अपने कोमल तन को मोम की भांति घोलना पड़ेगा; तभी ईश्वर तक पहुंचा जा सकता है। ईश्वर-प्राप्ति के लिए हमें अपना अहंकार खत्म करके प्रभु के चरणों में अपना सर्वस्व समर्पित करना होगा।
NCERT Solutions for Chapter 6 महादेवी वर्मा - मधुर मधुर मेरे दीपक जल Class 10 Hindi भाषा अध्ययन
1. इस कविता में जब एक शब्द बार-बार आता है और वह योजक चिन्ह द्वारा जुड़ा होता है, तो वहाँ पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार होता है; जैसे – पुलक-पुलक। इसी प्रकार के कुछ और शब्द खोजिए जिनमें यह अलंकार हो।
उत्तर
इसी प्रकार के अन्य शब्द है
- मधुर-मधुर
- युग-युग
- सिहर-सिहर
- विहँस-विहँस
- बिखर-बिखर
- सहज-सहज
- सरल-सरल
- मदिर-मदिर