ICSE Solutions for पाठ 6 स्वर्ग बना सकते हैं Poem (Swarg Bana Sakte Hai) Class 9 Hindi Sahitya Sagar

ICSE Solutions for स्वर्ग बना सकते हैं by Ramdhari Singh Dinkar


प्रश्न क: 
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

धर्मराज यह भूमि किसी की, नहीं क्रीत है दासी,
हैं जन्मना समान परस्पर, इसके सभी निवासी।
सबको मुक्त प्रकाश चाहिए, सबको मुक्त समीरण,
बाधा-रहित विकास, मुक्त आशंकाओं से जीवन।
लेकिन विघ्न अनेक सभी इस पथ पर अड़े हुए हैं,
मानवता की राह रोककर पर्वत अड़े हुए हैं।
न्यायोचित सुख सुलभ नहीं जब तक मानव-मानव को,
चैन कहाँ धरती पर तब तक शांति कहाँ इस भव को।

(i) कवि ने भूमि के लिए किस शब्द का प्रयोग किया हैं और क्यों?

उत्तर:
कवि ने भूमि के लिए ‘क्रीत दासी’ शब्द का प्रयोग किया हैं क्योंकि किसी की क्रीत (खरीदी हुई) दासी नहीं है। इस पर सबका समान रूप से अधिकार है।

(ii) धरती पर शांति के लिए क्या आवश्यक है?

उत्तर :
धरती पर शांति के लिए सभी मनुष्य को समान रूप से सुख-सुविधाएँ मिलनी आवश्यक है।

(iii) भीष्म पितामह युधिष्ठिर को किस नाम से बुलाते है? क्यों?

उत्तर:
भीष्म पितामह युधिष्ठिर को ‘धर्मराज’ नाम से बुलाते है क्योंकि वह सदैव न्याय का पक्ष लेता है और कभी किसी के साथ अन्याय नहीं होने देता।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – क्रीत, जन्मना, समीरण, भव, मुक्त, सुलभ।

उत्तर:
क्रीत: खरीदी हुई
जन्मना: जन्म से
समीरण: वायु
भव: संसार
मुक्त: स्वतंत्र
सुलभ: आसानी से प्राप्त

प्रश्न ख: निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :

जब तक मनुज-मनुज का यह सुख भाग नहीं सम होगा,
शमित न होगा कोलाहल, संघर्ष नहीं कम होगा।
उसे भूल वह फँसा परस्पर ही शंका में भय में,
लगा हुआ केवल अपने में और भोग-संचय में।
प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर,
भोग सकें जो उन्हें जगत में कहाँ अभी इतने नर?
सब हो सकते तुष्ट, एक-सा सुख पर सकते हैं;
चाहें तो पल में धरती को स्वर्ग बना सकते हैं,

(i) ‘प्रभु के दिए हुए सुख इतने हैं विकीर्ण धरती पर’ – पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि ईश्वर ने हमारे लिए धरती पर सुख-साधनों का विशाल भंडार दिया हुआ है। सभी मनुष्य इसका उचित उपयोग करें तो यह साधन कभी भी कम नहीं पड़ सकते।

(ii) मानव का विकास कब संभव होगा?

उत्तर:
कमानव के विकास के पथ पर अनेक प्रकार की मुसीबतें उसकी राह रोके खड़ी रहती है तथा विशाल पर्वत भी राह रोके खड़े रहता है। मनुष्य जब इन सब विपत्तियों को पार कर आगे बढ़ेगा तभी उसका विकास संभव होगा।

(iii) किस प्रकार पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है?

उत्तर:
ईश्वर ने हमारे लिए धरती पर सुख-साधनों का विशाल भंडार दिया हुआ है। सभी मनुष्य इसका उचित उपयोग करें तो यह साधन कभी भी कम नहीं पड़ सकते। सभी लोग सुखी
होंगे। इस प्रकार पल में धरती को स्वर्ग बना सकते है।

(iv) शब्दार्थ लिखिए – शमित, विकीर्ण, कोलाहल, विघ्न, चैन, पल।

उत्तर:
शमित: शांत
विकीर्ण: बिखरे हुए
कोलाहल: शोर
विघ्न: रूकावट
चैन: शांति
पल: क्षण
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