ICSE Solutions for पाठ 14 संदेह (Sandeh) Class 9 Hindi Sahitya Sagar
ICSE Solutions for संदेह by Jaishankar Prashad
“तुमसे अपराध होगा? यह क्या कह रही हो? मैं रोता हूँ, इसमें मेरी ही भूल है। प्रायश्चित करने का यह ढंग नहीं, यह मैं धीरे-धीरे समझ रहा हूँ, किंतु करूँ क्या? यह मन नहीं मानता।”
(i) उपर्युक्त अवतरण के वक्ता तथा श्रोता का परिचय दें।
उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण का वक्ता रामनिहाल है। जो कि श्रोता श्यामा के यहाँ ही रहता है। श्यामा एक विधवा, समझदार और चरित्रवान महिला है।
(ii) श्रोता के वक्ता के बारे में क्या विचार हैं?
उत्तर :
शश्रोता अर्थात् रामनिहाल के वक्ता श्यामा के बारे में बड़े उच्च विचार है।
रामनिहाल श्यामा के स्वभाव से अभिभूत है। वह जिस प्रकार से अपने वैधव्य का जीवन जी रही है। वह रामनिहाल की नज़र में काबिले तारीफ़ है। वह श्यामा की सहृदयता और मानवता के कारण उसे अपना शुभ चिंतक, मित्र और रक्षक समझता है।
(iii) क्या वाकई में वक्ता से कोई अपराध हो गया था?
उत्तर:
नहीं, वक्ता से कोई अपराध नहीं हुआ था।
रामनिहाल अपना सामान बांधें लगातार रोये जा रहा था। अत: वक्ता यह जानना चाह रही थी कि कहीं उससे तो कोई भूल नहीं हो गई जिसके कारण रामनिहाल इस तरह से रोये जा रहा था।
(iv) रामनिहाल के रोने का कारण क्या है?
उत्तर:
रामनिहाल को लगता है कि उससे कोई बड़ी भूल हो गई है और जिसका उसे प्रायश्चित करना पड़ेगा और इसी भूल के संदर्भ में वह रो रहा है।
प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेरी महत्त्वकांक्षा, मेरे उन्नतिशील विचार मुझे बराबर दौड़ाते रहे। मैं अपनी कुशलता से अपने भाग्य को धोखा देता रहा। यह भी मेरा पेट भर देता था। कभी-कभी मुझे ऐसा मालूम होता है कि यह दाँव बैठा कि मैं अपने-आप पर विजयी हुआ और मैं सुखी होकर संतुष्ट होकर चैन से संसार के एक कोने में बैठ जाऊँगा, किंतु वह मृग मरीचिका थी।”
उत्तर:
उपर्युक्त अवतरण का वक्ता रामनिहाल है। जो कि श्रोता श्यामा के यहाँ ही रहता है। श्यामा एक विधवा, समझदार और चरित्रवान महिला है।
(ii) श्रोता के वक्ता के बारे में क्या विचार हैं?
उत्तर :
शश्रोता अर्थात् रामनिहाल के वक्ता श्यामा के बारे में बड़े उच्च विचार है।
रामनिहाल श्यामा के स्वभाव से अभिभूत है। वह जिस प्रकार से अपने वैधव्य का जीवन जी रही है। वह रामनिहाल की नज़र में काबिले तारीफ़ है। वह श्यामा की सहृदयता और मानवता के कारण उसे अपना शुभ चिंतक, मित्र और रक्षक समझता है।
(iii) क्या वाकई में वक्ता से कोई अपराध हो गया था?
उत्तर:
नहीं, वक्ता से कोई अपराध नहीं हुआ था।
रामनिहाल अपना सामान बांधें लगातार रोये जा रहा था। अत: वक्ता यह जानना चाह रही थी कि कहीं उससे तो कोई भूल नहीं हो गई जिसके कारण रामनिहाल इस तरह से रोये जा रहा था।
(iv) रामनिहाल के रोने का कारण क्या है?
उत्तर:
रामनिहाल को लगता है कि उससे कोई बड़ी भूल हो गई है और जिसका उसे प्रायश्चित करना पड़ेगा और इसी भूल के संदर्भ में वह रो रहा है।
प्रश्न ख: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मेरी महत्त्वकांक्षा, मेरे उन्नतिशील विचार मुझे बराबर दौड़ाते रहे। मैं अपनी कुशलता से अपने भाग्य को धोखा देता रहा। यह भी मेरा पेट भर देता था। कभी-कभी मुझे ऐसा मालूम होता है कि यह दाँव बैठा कि मैं अपने-आप पर विजयी हुआ और मैं सुखी होकर संतुष्ट होकर चैन से संसार के एक कोने में बैठ जाऊँगा, किंतु वह मृग मरीचिका थी।”
(i) यहाँ पर किसके बारे में बात की जा रही है?
उत्तर:
यहाँ पर स्वयं रामनिहाल अपने विषय में बातचीत कर रहा है। अपने जीवन में अति महत्त्वाकांक्षी होने के कारण एक जगह टिक नहीं पाया। हर समय सामान अपनी पीठ पर लादे घूमता रहा।
(ii) रामनिहाल की महत्त्वकांक्षा उससे क्या करवाती रही?
उत्तर:
रामनिहाल की महत्त्वकांक्षा और उसके उन्नतिशील विचार उसे बराबर दौड़ाते रहे। वह बड़ी कुशलतापूर्वक अपने भाग्य को धोखा देता रहा और अपना निर्वाह करता रहा।
(iii) प्रस्तुत पंक्तियों का क्या आशय है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों का आशय मनुष्य की कभी भी न पूरी होने वाली इच्छाओं से हैं। मनुष्य हमेशा अपनी हर इच्छा को अंतिम इच्छा समझता है और सोचता है कि बस यह पूरी हो जाय तो वह चैन की साँस लें। परंतु हर एक खत्म होने वाली इच्छा के बाद एक नई इच्छा का जन्म होता है और इसके साथ ही मनुष्य का असंतोष भी बढ़ता जाता है।
(iv) प्रस्तुत अवतरण में मृग मरीचिका से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रस्तुत अवतरण में मृग मरीचिका से तात्पर्य इंसान की कभी भी खत्म होने वाली इच्छाओं से है। रामनिहाल हमेशा सोचता था कि एक दिन वह संतुष्ट होकर कोने में बैठ जाएगा लेकिन ऐसा कभी भी संभव नहीं हो पाया।
प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मनोरमा घबरा उठी। उसने कहा – “चुप रहिए, आपकी तबीयत बिगड़ – रही है, शांत हो जाइए!”
उत्तर:
यहाँ पर स्वयं रामनिहाल अपने विषय में बातचीत कर रहा है। अपने जीवन में अति महत्त्वाकांक्षी होने के कारण एक जगह टिक नहीं पाया। हर समय सामान अपनी पीठ पर लादे घूमता रहा।
(ii) रामनिहाल की महत्त्वकांक्षा उससे क्या करवाती रही?
उत्तर:
रामनिहाल की महत्त्वकांक्षा और उसके उन्नतिशील विचार उसे बराबर दौड़ाते रहे। वह बड़ी कुशलतापूर्वक अपने भाग्य को धोखा देता रहा और अपना निर्वाह करता रहा।
(iii) प्रस्तुत पंक्तियों का क्या आशय है?
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्तियों का आशय मनुष्य की कभी भी न पूरी होने वाली इच्छाओं से हैं। मनुष्य हमेशा अपनी हर इच्छा को अंतिम इच्छा समझता है और सोचता है कि बस यह पूरी हो जाय तो वह चैन की साँस लें। परंतु हर एक खत्म होने वाली इच्छा के बाद एक नई इच्छा का जन्म होता है और इसके साथ ही मनुष्य का असंतोष भी बढ़ता जाता है।
(iv) प्रस्तुत अवतरण में मृग मरीचिका से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:
प्रस्तुत अवतरण में मृग मरीचिका से तात्पर्य इंसान की कभी भी खत्म होने वाली इच्छाओं से है। रामनिहाल हमेशा सोचता था कि एक दिन वह संतुष्ट होकर कोने में बैठ जाएगा लेकिन ऐसा कभी भी संभव नहीं हो पाया।
प्रश्न ग: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
मनोरमा घबरा उठी। उसने कहा – “चुप रहिए, आपकी तबीयत बिगड़ – रही है, शांत हो जाइए!”
(i) कौन, किसे और क्यों शांत रहने के लिए कह रहा है?
उत्तर:
यहाँ पर मनोरमा अपने पति मोहनबाबू को शांत रहने के लिए कह रही है।
नाव पर घूमते समय बातों ही बातों में मोहनबाबू उत्तेजित हो जाते हैं और अजनबी रामनिहाल के सामने कुछ भी कहने लगते हैं इसलिए उनकी पत्नी मनोरमा चाहती है कि उसके पति शांत रहे।
(ii) मोहनबाबू कौन हैं और वे क्यों परेशान हैं?
उत्तर:
मोहनबाबू रामनिहाल के दफ़्तर के मालिक थे।
मोहनबाबू को संदेह था कि उनकी पत्नी मनोरमा और दफ़्तर में काम करने वाले उनके निकट संबंधी बृजकिशोर मिलकर उसके खिलाफ़ षडयंत्र रच रहे और उन्हें पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए मोहनबाबू परेशान थे।
(iii) मोहनबाबू का किससे और क्यों मतभेद था?
उत्तर:
मोहनबाबू का अपनी पत्नी से वैचारिक स्तर पर मतभेद था। मोहनबाबू किसी भी विचार को दार्शनिक रूप से प्रकट करते थे जिसे उनकी पत्नी समझ नहीं पाती थी और यही उनके मतभेद का कारण था।
(iv) मोहनबाबू मनोरमा से माफ़ी क्यों माँगते हैं?
उत्तर:
नाव पर घूमते समय बातों ही बातों में मोहनबाबू का अपनी पत्नी से मतभेद हो जाता है और जिसके परिणास्वरूप वे अपनी पत्नी पर संदेह करते हैं ये बात अजनबी रामनिहाल के सामने प्रकट कर देते हैं। जब मोहनबाबू थोड़ा शांत हो जाते हैं तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हो जाता है तब वे अपनी पत्नी से माफ़ी माँगते हैं।
प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
रामनिहाल हत बुद्धि अपराधी – श्यामा को देखने लगा, जैसे उसे कहीं भागने की राह न हो।
उत्तर:
यहाँ पर मनोरमा अपने पति मोहनबाबू को शांत रहने के लिए कह रही है।
नाव पर घूमते समय बातों ही बातों में मोहनबाबू उत्तेजित हो जाते हैं और अजनबी रामनिहाल के सामने कुछ भी कहने लगते हैं इसलिए उनकी पत्नी मनोरमा चाहती है कि उसके पति शांत रहे।
(ii) मोहनबाबू कौन हैं और वे क्यों परेशान हैं?
उत्तर:
मोहनबाबू रामनिहाल के दफ़्तर के मालिक थे।
मोहनबाबू को संदेह था कि उनकी पत्नी मनोरमा और दफ़्तर में काम करने वाले उनके निकट संबंधी बृजकिशोर मिलकर उसके खिलाफ़ षडयंत्र रच रहे और उन्हें पागल साबित करने की कोशिश कर रहे हैं। इसलिए मोहनबाबू परेशान थे।
(iii) मोहनबाबू का किससे और क्यों मतभेद था?
उत्तर:
मोहनबाबू का अपनी पत्नी से वैचारिक स्तर पर मतभेद था। मोहनबाबू किसी भी विचार को दार्शनिक रूप से प्रकट करते थे जिसे उनकी पत्नी समझ नहीं पाती थी और यही उनके मतभेद का कारण था।
(iv) मोहनबाबू मनोरमा से माफ़ी क्यों माँगते हैं?
उत्तर:
नाव पर घूमते समय बातों ही बातों में मोहनबाबू का अपनी पत्नी से मतभेद हो जाता है और जिसके परिणास्वरूप वे अपनी पत्नी पर संदेह करते हैं ये बात अजनबी रामनिहाल के सामने प्रकट कर देते हैं। जब मोहनबाबू थोड़ा शांत हो जाते हैं तो उन्हें अपनी गलती का अहसास हो जाता है तब वे अपनी पत्नी से माफ़ी माँगते हैं।
प्रश्न घ: निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
रामनिहाल हत बुद्धि अपराधी – श्यामा को देखने लगा, जैसे उसे कहीं भागने की राह न हो।
(i) रामनिहाल ने श्यामा क्या बताया?
उत्तर:
रामनिहाल ने श्यामा को बताया कि बृजकिशोर बाबू चाहते हैं कि अदालत मोहनबाबू को पागल करार कर दे और उन्हें मोहनबाबू का निकट संबंधी होने के कारण सारी संपत्ति का प्रबंधक बना दे।
(ii) रामनिहाल किस संदेह से ग्रसित था?
उत्तर:
रामनिहाल इस संदेह से ग्रसित था कि मनोरमा उसे प्यार करती है और इसलिए बार-बार उसे पत्र लिख कर बुला रही है।
(iii) रामनिहाल हत बुद्धि क्यों हो गया?
उत्तर:
रामनिहाल अभी तक यह संदेह कर रहा था कि मनोरमा उससे प्यार करती है और इसलिए बार-बार पत्र लिखकर उसे बुला रही है पर जब श्यामा ने रामनिहाल को बताया कि वह एक दुखिया स्त्री है जो बृजकिशोर जैसे कपटी व्यक्ति के कारण उसकी सहायता चाहती है।
यह सुनकर रामनिहाल हत बुद्धि हो गया।
इस तरह जब श्यामा ने रामनिहाल के व्यर्थ के संदेह का निराकरण कर दिया तो रामनिहाल हत बुद्धि हो गया।
(iv) अंत में श्यामा ने रामनिहाल को क्या सुझाव दिया?
उत्तर:
रामनिहाल की सारी बातें सुनने के बाद श्यामा यह जान गई कि रामनिहाल व्यर्थ के संदेह के कारण परेशान है। तब श्यामा ने उसके संदेह का निराकरण किया और रामनिहाल को सुझाव दिया कि मनोरमा एक दुखिया स्त्री है और रामनिहाल को उसकी सहायता करनी चाहिए।
उत्तर:
रामनिहाल ने श्यामा को बताया कि बृजकिशोर बाबू चाहते हैं कि अदालत मोहनबाबू को पागल करार कर दे और उन्हें मोहनबाबू का निकट संबंधी होने के कारण सारी संपत्ति का प्रबंधक बना दे।
(ii) रामनिहाल किस संदेह से ग्रसित था?
उत्तर:
रामनिहाल इस संदेह से ग्रसित था कि मनोरमा उसे प्यार करती है और इसलिए बार-बार उसे पत्र लिख कर बुला रही है।
(iii) रामनिहाल हत बुद्धि क्यों हो गया?
उत्तर:
रामनिहाल अभी तक यह संदेह कर रहा था कि मनोरमा उससे प्यार करती है और इसलिए बार-बार पत्र लिखकर उसे बुला रही है पर जब श्यामा ने रामनिहाल को बताया कि वह एक दुखिया स्त्री है जो बृजकिशोर जैसे कपटी व्यक्ति के कारण उसकी सहायता चाहती है।
यह सुनकर रामनिहाल हत बुद्धि हो गया।
इस तरह जब श्यामा ने रामनिहाल के व्यर्थ के संदेह का निराकरण कर दिया तो रामनिहाल हत बुद्धि हो गया।
(iv) अंत में श्यामा ने रामनिहाल को क्या सुझाव दिया?
उत्तर:
रामनिहाल की सारी बातें सुनने के बाद श्यामा यह जान गई कि रामनिहाल व्यर्थ के संदेह के कारण परेशान है। तब श्यामा ने उसके संदेह का निराकरण किया और रामनिहाल को सुझाव दिया कि मनोरमा एक दुखिया स्त्री है और रामनिहाल को उसकी सहायता करनी चाहिए।